Saturday, August 3, 2013

  1. ''सारी कायनात की कुदरत तो एक ही है: सावन और माह'ए'रमजान में भोलेनाथ और अल्‍ला की रहमत का दीदार कुछ इस तरह से हुआ कि जहां लाखों कांवडिये हरिद्वार से गंगाजल लेकर कडी धूप में शिवालयों की और बढ रहे थे, वहीं शुक्रवार की दोपहर को अलविदा जुमा की नमाज में भी लाखों रोजेदार नमाज अदा करने के लिए तैयार थे, भयंकर गर्मी से परेशान शिवभक्‍तों और रोजेदारों को कुदरत ने राहत देने के लिए आसमां में काले घने बादल बिखेर कर जताया कि सबका मालिक आखिरकार एक ही है और सबसे बडा धर्म इंसानियत का ही है मुजफ़फरनगर के मेरठ रोड स्थित तकिया मौहल्‍ले की मस्जिद की गुंबद पर लगे चांद तारे के उपर भास्‍करदेव ने भी अपनी किरणों से इंद्रधनुषी आलौकिक रोशनी के साथ मुकद़दस रमजान के आखिरी जुमा को अलविदा कहा'' Bhushan Bhaskar

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